कितने पाकिस्तान 'Kitne Pakistan' based on Kamleshwar's novel || Story, Novel, Journalism, Column Writing, Film Screenplay
Update: 2022-12-10
Description
कितनी डरावनी थी वह चांदनी रात नीचे आंगन में तुम्हीं पड़ी थीं बन्नो...चांदनी में दूध-नहायी और पिछवाड़े पीपल खड़खड़ा रहा था और बदरू मियां की आवांज जैसे पाताल से आ रही थी ''कादिर मियां!...बन गया साला पाकिस्तान... ''
दोस्त! इस लम्बे सफर के तीन पड़ाव हैंपहला, जब मुझे बन्नो के मेहंदी के फूलों की हवा लग गयी थी, दूसराजब इस चांदनी रात में मैंने पहली बार बन्नो को नंगा देखा था और तीसरा तब, जब उस कमरे की चौखट पर बन्नो हाथ रखे खड़ी थी और पूछ रही थी ''और है कोई? ''
हां था। कोई और भी था।...कोई।
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